जरा सोचिए, जब आप सुबह उठते हैं और गहरी सांस लेते हैं, तो क्या आज की हवा उतनी शुद्ध है जितनी आपके बचपन में हुआ करती थी? शायद नहीं। आज चारों तरफ केवल स्मॉग, धुआं और प्रदूषण नजर आता है। ऐसे समय में जब वातावरण लगातार बिगड़ रहा है, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) को क्लीन एनर्जी का समाधान बताया गया है। सरकारें इन्हें बढ़ावा दे रही हैं, और कंपनियां इन्हें प्रदूषण रहित तकनीक के रूप में प्रचारित कर रही हैं। लेकिन ‘द हिंदू’ की 15 अगस्त 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, एक इलेक्ट्रिक कार केवल बैटरी निर्माण में ही करीब 12 टन कार्बन उत्सर्जित करती है। जबकि एक पेट्रोल वाहन अपनी पूरी उम्र में 14 से 30 टन कार्बन छोड़ता है। यानी ईवी जिसे हम समाधान मानते हैं, वह खुद एक बड़ी समस्या बन सकता है।

ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट बिजनेस: भविष्य का ईंधन
अब सोचिए अगर कोई ऐसा फ्यूल हो, जो न पेट्रोल की तरह प्रदूषण फैलाए, न डीजल की तरह खर्चीला हो और न कोयले की तरह धरती को नुकसान पहुंचाए। यही है ग्रीन हाइड्रोजन, जो सूर्य और हवा की शक्ति से तैयार होता है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट 2023 कहती है कि 2030 तक ग्लोबल ग्रीन हाइड्रोजन का मार्केट 41 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
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भारत सरकार का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
भारत सरकार ने 2030 तक 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा है, और इसके लिए मार्च 2023 में ₹1974 करोड़ का बजट भी तय किया गया है। ब्लूमबर्ग NEF का अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की 24% ऊर्जा हाइड्रोजन से आएगी। यह साफ संकेत है कि यह बिजनेस भविष्य में एक सुनहरा अवसर बनने जा रहा है।
क्या है ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की प्रक्रिया?
ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करने की प्रक्रिया तीन मुख्य चरणों में होती है। सबसे पहले, इलेक्ट्रोलाइज़र मशीन में पानी डाला जाता है। इसके बाद सौर पैनल या विंड टरबाइन से प्राप्त बिजली इलेक्ट्रोलाइज़र को दी जाती है। यह मशीन पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित कर देती है। इसके बाद दोनों गैसों को स्टोर कर मार्केट में सप्लाई किया जाता है।
ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगाने की लागत
यदि आप 5 किलोवाट क्षमता वाला छोटा प्लांट लगाना चाहते हैं, तो इसकी कुल लागत ₹7 लाख से ₹11 लाख के बीच आ सकती है। इसमें ₹3 लाख सोलर पैनल, ₹5 लाख इलेक्ट्रोलाइज़र मशीन, ₹1 लाख गैस स्टोरेज टैंक और अन्य आवश्यक उपकरण शामिल हैं। इसके अलावा कूलिंग सिस्टम और सुरक्षा उपकरणों में भी खर्च आता है।
कमाई और सरकारी सहायता
यदि आप रोजाना 3 से 5 किलो हाइड्रोजन का उत्पादन करते हैं तो प्रतिदिन ₹1500 से ₹2500 तक की कमाई संभव है। महीने में यह कमाई ₹45,000 से ₹75,000 तक पहुंच सकती है। अगर आप 10 किलोवाट का प्लांट लगाते हैं तो आपकी इनकम ₹1.5 लाख या उससे अधिक भी हो सकती है। अच्छी बात यह है कि इस व्यवसाय में सरकार 20% से 40% तक सब्सिडी भी देती है।
ग्राहक कहां मिलेंगे और किसे बेचें?
आपके उत्पाद की मांग कई क्षेत्रों में है। स्टील, फर्टिलाइजर, और केमिकल इंडस्ट्रीज, रिसर्च लैब्स (जैसे IITs और DRDO), स्टार्टअप्स और हाइड्रोजन ईंधन स्टेशन आपके प्रमुख ग्राहक हो सकते हैं। इसके अलावा, मिडिल ईस्ट और यूरोप जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी इसकी भारी मांग है।
निष्कर्ष:
अब वक्त है भविष्य की ऊर्जा में निवेश करने का। ग्रीन हाइड्रोजन न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि एक मजबूत कमाई का जरिया भी बन सकता है। यदि आप अभी इस बिजनेस की शुरुआत करते हैं, तो आने वाले वर्षों में भारत को ग्रीन एनर्जी सुपरपावर बनाने में आपकी भूमिका अहम हो सकती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल शैक्षणिक और प्रेरणादायक उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी व्यवसाय में निवेश करने से पहले विस्तृत रिसर्च और सरकारी नियमों की जांच जरूर करें।
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