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सिर्फ 4 घंटे काम करो और फाइनेंशियल फ्रीडम पाओ, जानिए ‘The 4-Hour Workweek’ के ज़रिए एक नई लाइफस्टाइल कैसे अपनाएं

कई लोगों की पहली नौकरी 21 की उम्र में लगती है, और वे अब 27 या 30 साल के हो चुके होते हैं। फिर वही रोज़ की 9 से 5 की नौकरी, सुबह की मेट्रो या ट्रैफिक में दो घंटे का सफर, सोमवार का तनाव और शुक्रवार का इंतज़ार—और बदले में मिलता है केवल 3-4% का सालाना इंक्रीमेंट, जो महंगाई के सामने कुछ भी नहीं। ऐसे में अगर आपको कहा जाए कि अगला तीस साल भी इसी तरह बिताने हैं, तो क्या आप कभी सच में अपनी ज़िंदगी को जी पाएंगे?

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टिम फेरिस की सोच ने बदली दुनिया की नजर

टिम फेरिस, जो एक सामान्य मिडिल क्लास परिवार से आते हैं, उन्होंने अपनी किताब ‘The 4-Hour Workweek’ के ज़रिए दुनिया को एक नया नजरिया दिया। टिम ने 14 साल की उम्र में आइसक्रीम पार्लर में काम करना शुरू किया। वह 8 घंटे का सफाई का काम केवल 1 घंटे में निपटा लेते थे, और बाकी समय मैगजीन पढ़ने व कराटे की प्रैक्टिस में लगाते। लेकिन उनके बॉस को यह तरीका पसंद नहीं आया और उन्होंने टिम को निकाल दिया।

कैसे टिम फेरिस ने अपनी कंपनी से सीखी जिंदगी की सबसे बड़ी सीख

कई नौकरियों के बाद, 2001 में टिम ने ‘BrainQUICKEN’ नाम की एक डाइटरी सप्लीमेंट कंपनी शुरू की। इस बिजनेस के लिए उन्हें रोज़ 14 से 16 घंटे काम करना पड़ता था। जब सब कुछ स्टेबल हुआ, तो उन्होंने वेकेशन पर जाने का फैसला किया। वहां उन्होंने महसूस किया कि ऑटोमेशन और आउटसोर्सिंग की मदद से काम को चार घंटे में भी मैनेज किया जा सकता है।

ऑटोमेशन और आउटसोर्सिंग: कम समय में ज्यादा प्रॉफिट

टिम ने अपने बिजनेस में ऑटोमेशन और आउटसोर्सिंग को लागू किया, जिससे वह केवल 4 घंटे काम करके भी अपनी कमाई 40% तक बढ़ाने लगे। उन्होंने महसूस किया कि ज़्यादातर लोग जिंदगी को 9 से 5 की नौकरी में फंसा कर रखते हैं, लेकिन असल में ज़िंदगी स्मार्टली काम करके जीने में है। यहीं से शुरू हुआ ‘The 4-Hour Workweek’ का कॉन्सेप्ट।

कम काम का मतलब आलसी नहीं होता

भारत में जॉब कल्चर को बहुत ग्लोरिफाई किया जाता है। अगर कोई 8 घंटे ऑफिस और 3 घंटे ट्रैवल करता है, तो उसे मेहनती माना जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति 4 घंटे घर से काम करके पैसा कमाता है, तो उसे आलसी कहा जाता है। जबकि असल मेहनत वही है जो प्रोडक्टिवली हो। स्मार्ट वर्क ही असली वर्क है।

रिलेटिव इनकम: कितना कमाते हो नहीं, कितना समय में कमाते हो ये ज़रूरी है

अक्सर लोग किसी की फाइनेंशियल स्थिति को उनकी कुल कमाई से आंकते हैं। लेकिन असली सवाल यह होना चाहिए कि एक व्यक्ति प्रति घंटे कितना कमा रहा है? अगर एक इन्वेस्टमेंट बैंकर 80 घंटे में ₹1.5 लाख कमाता है, और एक फ्रीलांसर 15 घंटे में ₹75,000 तो किसकी इनकम ज्यादा प्रोडक्टिव है? रिलेटिव इनकम बताती है कि कम समय में ज्यादा पैसा कमाना ही असली फाइनेंशियल फ्रीडम है।

DEAL: फाइनेंशियल फ्रीडम की दिशा में 4 स्टेप

टिम फेरिस ने एक पावरफुल कांसेप्ट ‘DEAL’ दिया है:

  • D – Definition: अपना लक्ष्य स्पष्ट करो, सिर्फ रिटायरमेंट नहीं, बल्कि टाइम और मनी दोनों की आज़ादी हो।
  • E – Elimination: फालतू के कामों को हटाओ, सिर्फ जरूरी कामों पर फोकस करो।
  • A – Automation: ऐसे सिस्टम बनाओ जहां बिना आपकी मौजूदगी के भी काम चलता रहे।
  • L – Liberation: पैसा और समय दोनों मिलने पर ही आप पूरी दुनिया को एक्सप्लोर कर सकते हो।

दूसरों के समय और मेहनत का करें सही इस्तेमाल

टिम बताते हैं कि बड़े बिजनेसमैन अपने बिजनेस को स्केल करने के लिए दूसरों के टाइम और एफर्ट का सही इस्तेमाल करते हैं। जैसे कि एक निवेशक खुद दो जगह काम नहीं कर सकता, लेकिन वह अपने पैसे को ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर लगाता है जो उसके पैसे को बढ़ाते हैं। यही वजह है कि निवेश भी ‘Other People’s Time’ का एक बेहतरीन उदाहरण है।

सही वक्त की कोई परिभाषा नहीं, एक्शन अभी लो

लोग अक्सर सही वक्त का इंतज़ार करते रहते हैं, लेकिन असल में सही वक्त वही होता है जब आप एक्शन लेते हो। चाहे जॉब स्विच करनी हो, नया बिजनेस शुरू करना हो या इन्वेस्टमेंट का निर्णय लेना हो—एक्शन ही सब कुछ है। याद रखिए, दुनिया के सबसे सफल लोग फैसले लेने में समय नहीं लगाते, वे तुरंत एक्शन लेते हैं।

निष्कर्ष

टिम फेरिस की ‘The 4-Hour Workweek’ सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक ऐसा सिस्टम है जो आपको कम समय में ज्यादा काम करने और फाइनेंशियल फ्रीडम पाने के लिए प्रेरित करता है। अगर आप अपनी जिंदगी को सिर्फ काम के इर्द-गिर्द नहीं बल्कि अपने ड्रीम्स के अनुसार जीना चाहते हैं, तो यह विचारधारा आज से ही अपनाना शुरू करें।

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HindiYukti एक फाइनेंसियल और टेक ब्लॉग है जहां पर हिंदी में टेक्नोलॉजी, पैसे कमाने के तरीके, शेयर मार्किट, फाइनेंस और लोन्स के बारे में जानकारियां शेयर की जाती हैं.

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