Instagram-Facebook: आज हम आपको अमेरिका के मिसिसिपी राज्य से जुड़ी एक बड़ी और अहम खबर बताने जा रहे हैं। यहां का नया सोशल मीडिया कानून अब लागू हो चुका है और इस कानून ने सोशल मीडिया कंपनियों जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स (Twitter) के लिए सख्त नियम बना दिए हैं। दोस्तों, अब बच्चों को इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने से पहले उम्र की जांच और पैरेंट्स की अनुमति लेना अनिवार्य हो गया है। आइए जानते हैं आखिर यह नया कानून क्या है, क्यों लाया गया और इससे किसे परेशानी हो सकती है।
Instagram-Facebook: मिसिसिपी का नया सोशल मीडिया कानून
दोस्तों, इस कानून का नाम है Walker Montgomery Protecting Children Online Act। इस कानून के तहत अब सोशल मीडिया कंपनियों को नाबालिग यूज़र्स यानी बच्चों की उम्र वेरिफाई करनी होगी और उन्हें प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने से पहले माता-पिता की सहमति भी लेनी होगी। इसका मकसद बच्चों को ऑनलाइन खतरनाक और संवेदनशील कंटेंट से बचाना है।
Kids now need mom's permission to go on social media. This week SCOTUS let the Mississippi law stand (for now), even though it's probably unconstitutional. Yes, social media harms kids. But do we want government deciding what they can see? 📝 My full take: https://t.co/ajzUcYeBQS pic.twitter.com/LRN4Kk2WoA
— J. Israel Balderas (@jisraelbalderas) August 15, 2025
क्यों लाया गया यह कानून
दोस्तों, इस कानून को लाने की सबसे बड़ी वजह बच्चों की सुरक्षा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक एक 16 साल के बच्चे ने इंस्टाग्राम पर फर्जी sextortion स्कैम का शिकार होकर आत्महत्या कर ली थी। इस घटना ने समाज को हिला कर रख दिया और सरकार को यह कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।
नेटचॉइस (NetChoice) कौन है और क्यों हुआ विरोध
दोस्तों, बड़ी टेक कंपनियां जैसे Meta, YouTube, Reddit, Snapchat, Pinterest और X एक ट्रेड ग्रुप NetChoice के अंतर्गत आती हैं। NetChoice ने इस कानून का विरोध किया और कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि यह कानून बच्चों और बड़ों दोनों की ऑनलाइन अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक लगाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी हरी झंडी
दोस्तों, पहले तो एक फेडरल जज ने इस कानून को रोक दिया था, लेकिन बाद में अपीलीय अदालत ने उस रोक को हटा दिया। इसके बाद NetChoice ने सुप्रीम कोर्ट में राहत मांगी, लेकिन वहां से भी उन्हें झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी NetChoice यह साबित नहीं कर पाया है कि इस कानून से उन्हें कितना बड़ा नुकसान होगा। इसलिए यह कानून अब पूरी तरह लागू हो गया है।
क्या कहती है सरकार
मिसिसिपी की अटॉर्नी जनरल लिन फिच ने साफ कहा कि यह कानून बच्चों को ऑनलाइन शिकार बनने से बचाने के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस कानून पर रोक लगाना राज्य की जिम्मेदारी में रुकावट डालना है।
क्या है सबसे बड़ी चिंता
दोस्तों, अब सोशल मीडिया कंपनियों पर दबाव है कि वे उम्र वेरिफिकेशन और पैरेंटल कंसेंट सिस्टम को लागू करें। हालांकि, टेक कंपनियों का मानना है कि इससे गोपनीयता (Privacy) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) पर असर पड़ेगा।
आगे क्या होगा
दोस्तों, यह कानून फिलहाल लागू हो गया है, लेकिन भविष्य में इसकी संवैधानिक वैधता पर सवाल उठ सकते हैं। कई जजों ने यह भी कहा है कि यह कानून अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन यानी फ्री स्पीच का उल्लंघन हो सकता है। अब देखना होगा कि आने वाले समय में यह मुद्दा कैसे आगे बढ़ता है।
FAQs
मिसिसिपी का सोशल मीडिया कानून क्या कहता है?
यह कानून कहता है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बच्चों की उम्र वेरिफाई करें और उन्हें इस्तेमाल करने से पहले पैरेंट्स की अनुमति लें।
इस कानून का विरोध किसने किया?
NetChoice नाम का एक समूह, जिसमें बड़ी टेक कंपनियां जैसे Meta, YouTube, Reddit, Snapchat और X शामिल हैं, ने इस कानून का विरोध किया।
कोर्ट ने कानून को क्यों मंजूरी दी?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NetChoice यह साबित नहीं कर पाया कि इस कानून से तत्काल बड़ा नुकसान होगा। इसलिए कानून को लागू होने दिया गया।
इस कानून का मकसद क्या है?
दोस्तों इसका मुख्य मकसद बच्चों को ऑनलाइन खतरनाक और अश्लील कंटेंट से बचाना और उन्हें सुरक्षित माहौल देना है।
क्या यह कानून अमेरिका के बाकी राज्यों में भी लागू होगा?
फिलहाल यह सिर्फ मिसिसिपी राज्य में लागू है, लेकिन इसकी सफलता के बाद दूसरे राज्य भी ऐसे कदम उठा सकते हैं।