आज हम एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहे हैं जो सीधे तौर पर आपसे जुड़ा हुआ है — जी हां, बात हो रही है आपके मोबाइल ऐप्स और उनमें छिपे डाटा चोरी के खतरे की। हम सब सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये ऐप्स आपके बारे में कितनी जानकारी चुपचाप इकट्ठा कर लेते हैं?
एक नई रिसर्च रिपोर्ट ने इस रहस्य से पर्दा उठाया है और बताया है कि दुनिया की कुछ सबसे मशहूर ऐप्स, खासकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, आपकी बेहद निजी जानकारी को इकट्ठा कर रही हैं वो भी बड़ी ही चतुराई से।
Apteco की रिपोर्ट ने खोले डाटा चोरी के राज
Apteco नाम की एक जानी-मानी रिसर्च कंपनी ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें उन्होंने यह बताया कि कौन-कौन सी ऐप्स सबसे ज्यादा “आपसे जुड़ा हुआ डेटा” (Data Linked to You) इकट्ठा करती हैं। इस लिस्ट में सबसे ऊपर नाम आता है Meta कंपनी की ऐप्स Facebook, Instagram और Threads का।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह डेटा होता क्या है? तो बता दूं इसमें आपका नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल, घर का पता, लोकेशन, आपकी सर्च हिस्ट्री, आप किन लोगों से संपर्क में रहते हैं और बहुत कुछ शामिल होता है। यानी आपका डिजिटल अस्तित्व इन कंपनियों के पास पूरी तरह से खुला होता है।
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कौन-कौन हैं सबसे बड़े ‘डेटा चोर’?
Apteco की टॉप 10 लिस्ट में Facebook, Instagram और Threads के बाद LinkedIn, Pinterest, Amazon Alexa, Amazon, YouTube, X (पूर्व में Twitter) और PayPal का नाम शामिल है। ये वो ऐप्स हैं जो करोड़ों लोग हर दिन इस्तेमाल करते हैं और अनजाने में अपनी प्राइवेसी से समझौता करते हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इन ऐप्स में से कई ऐसे हैं जो उन जानकारियों तक भी एक्सेस मांगते हैं जिनकी उन्हें जरूरत ही नहीं होती। जैसे अगर एक शॉपिंग ऐप आपकी लोकेशन, कॉन्टैक्ट्स और कैमरा तक पहुंच मांगता है, तो सोचना बनता है आखिर क्यूं?
जब प्रोडक्ट फ्री होता है, तो यूज़र ही बन जाता है प्रोडक्ट
2021 में Apple ने App Privacy Labels का फीचर लॉन्च किया था, जिससे ऐप्स की डाटा प्रैक्टिसेस पारदर्शी हो पाई। लेकिन चार साल बाद भी यही सच सामने आ रहा है कि जब कोई प्रोडक्ट फ्री में मिलता है, तो असल में आप ही उस प्रोडक्ट का हिस्सा बन जाते हैं।
इसका सीधा मतलब है कि आपकी जानकारी को बेचकर कंपनियां कमाई कर रही हैं। और यही वजह है कि हमें अब अलर्ट रहने की सख्त जरूरत है।
अब सवाल ये उठता है हम क्या करें? तो सबसे पहले तो अपने फोन की Permissions Settings चेक करें। किसी भी ऐप को लोकेशन, माइक्रोफोन, कैमरा जैसी संवेदनशील चीज़ों का एक्सेस तभी दें जब जरूरी हो। आप ऐप्स को “Only While Using the App” यानी सिर्फ ऐप इस्तेमाल करते समय की परमिशन दे सकते हैं।
इसके अलावा आप “Approximate Location” यानी लोकेशन की सटीक जानकारी न देकर सामान्य जानकारी भी साझा कर सकते हैं, जिससे आपकी गोपनीयता बनी रहे।
आज की डिजिटल दुनिया में सतर्क रहना सबसे जरूरी हो गया है। इंस्टाग्राम, फेसबुक या यूट्यूब जैसी ऐप्स हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं, लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हमारी निजी जानकारी भी हमारे लिए कीमती है।
इसलिए अब वक्त आ गया है कि हम अपने डेटा के प्रति सजग रहें, ऐप्स को परमिशन देने से पहले सोचें और जरूरत हो तो उन्हें हटा भी दें। आखिरकार, dosto हमारी प्राइवेसी हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
डिस्क्लेमर: यह लेख Apteco की रिसर्च रिपोर्ट और पब्लिक डाटा के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी ऐप को हटाने या उपयोग न करने की सलाह नहीं है, बल्कि यूज़र्स को डाटा सिक्योरिटी को लेकर जागरूक करने का उद्देश्य है। ऐप्स की डेटा प्रैक्टिसेस समय के साथ बदल सकती हैं, कृपया हमेशा अपने डिवाइस की सेटिंग्स और ऐप परमिशन्स की जांच करें।